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स्वतंत्रता दिवस पर विद्यालय के छात्रों के लिए नाटक

 स्वतंत्रता दिवस पर विद्यालय के छात्रों के लिए नाटक


शीर्षक: “स्वतंत्रता की यात्रा”

पात्र:
1. राजू – स्वतंत्रता संग्राम का युवा नायक
2. समीरा – राजू की बहन
3. नाना – बुजुर्ग स्वतंत्रता सेनानी
4. राधा – स्वतंत्रता संग्राम की सहयोगी
5. सोनू – स्कूल का शिक्षक
6. जनता – दर्शक वर्ग (मंच पर कई लोग)

दृश्य 1: स्वतंत्रता संग्राम का दौर

*(मंच पर एक पुराना घर दिखाया जाए। नाना और राजू चर्चा कर रहे हैं। समीरा पास में बैठी है।)*

राजू: (उत्साह से) नाना, मुझे भी स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होना है। मैं भी देश की आज़ादी के लिए कुछ करना चाहता हूँ!

नाना: (मुस्कुराते हुए) बेटा, तुम्हारी इच्छा सराहनीय है। स्वतंत्रता के लिए लड़ाई कठिन है, लेकिन हमें इसे पूरा करना ही होगा। तुम्हें पहले यह समझना होगा कि हर एक कदम महत्वपूर्ण है।

समीरा: (चिंता में) लेकिन भैया, यह लड़ाई बहुत कठिन है। क्या हमें इसका कोई लाभ मिलेगा?

नाना: (सहमति में) हाँ, बेटी। यह कठिनाई और संघर्ष हमें एक नई सुबह का संकेत है। स्वतंत्रता की प्राप्ति हमारे लिए एक सपना है, और इसे साकार करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी।

*(मंच पर राधा आती हैं और सबका स्वागत करती हैं।)*

राधा: (उत्साह से) नमस्ते दोस्तों! मैं भी स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा हूं। हम सभी मिलकर देश की आज़ादी के लिए काम करेंगे।

राजू: (उत्साही) चलिए, हम एक साथ मिलकर इस लड़ाई में शामिल होते हैं। हम स्वतंत्रता प्राप्त करेंगे!

दृश्य 2: संघर्ष और बलिदान

*(मंच पर एक सत्ताधारी नेता और अंग्रेज़ी अधिकारियों के साथ एक बैठक चल रही है। राजू, राधा और अन्य स्वतंत्रता सेनानी मंच पर हैं, जो आन्दोलन की योजना बना रहे हैं।)*

अंग्रेज़ी अधिकारी: (गुस्से में) तुम लोग बार-बार असंतोष का प्रदर्शन क्यों करते हो? हमें तुम्हारी मांगों को स्वीकार नहीं कर सकते।

राजू: (सहजता से) हम तुम्हारी नीतियों से असंतुष्ट हैं। हम स्वतंत्रता चाहते हैं और इसके लिए संघर्ष करेंगे। हमें डर नहीं है!

राधा: (मुस्कुराते हुए) स्वतंत्रता की इस यात्रा में हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन हमें अपनी मंजिल तक पहुंचना ही होगा।

*(मंच पर संघर्ष के दृश्य दिखाए जाते हैं। विभिन्न पात्र आंदोलनों और प्रदर्शन में भाग लेते हैं।)*

दृश्य 3: स्वतंत्रता की प्राप्ति

*(मंच पर 15 अगस्त 1947 का दृश्य दिखाया जाता है। राजू और समीरा उत्साह में हैं। नाना और राधा भी मंच पर हैं।)*

समीरा: (उत्साही) भैया, आज हमारा सपना सच हुआ! हमारा देश स्वतंत्र हो गया है!

राजू: (खुशी से) हाँ, आज हम अपनी स्वतंत्रता का जश्न मना सकते हैं। यह हमारी मेहनत और बलिदान का फल है।

नाना: (आशीर्वाद देते हुए) बेटा, आज का दिन हमारे लिए गर्व का दिन है। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि स्वतंत्रता केवल शुरुआत है। हमें एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए काम करना होगा।

राधा: (मुस्कुराते हुए) आज हम स्वतंत्रता का जश्न मना रहे हैं, लेकिन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत भारत बनाना हमारी जिम्मेदारी है।

राजू और समीरा: (सहमत होकर) हम इस जिम्मेदारी को निभाएंगे और अपने देश को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएंगे।

*(सभी पात्र मंच पर एक साथ आते हैं और भारत के राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान देते हैं।)*

सभी: (संगठित होकर) जय हिन्द! भारत माता की जय!

*(प्रकाश और ध्वनि प्रभाव के साथ नाटक समाप्त होता है।)*

धन्यवाद।

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