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नाटक: "स्वतंत्रता की सुबह"

 नाटक: "स्वतंत्रता की सुबह"


पात्र:


1. मोहन (मुख्य नायक, स्वतंत्रता सेनानी)

2. सुमित्रा (मोहन की बहन)

3. रवी (मोहन का मित्र)

4. अंग्रेज अधिकारी

5. गाँववाले (पुरुष और महिलाएं)

6. स्कूल के बच्चे


दृश्य 1: गाँव का चौक


*(गाँववाले आपस में बातें कर रहे हैं। मोहन और रवी आते हैं।)*


गाँववाला 1: (उदास) देखो, अंग्रेजों के शासन में हम कितने कठिनाई झेल रहे हैं। रोज़ की ज़िंदगी में कोई राहत नहीं है।


गाँववाला 2: हाँ, हर चीज़ पर टैक्स लग चुका है। हम गरीब हो गए हैं और अंग्रेज शाही आराम से जी रहे हैं।


मोहन: (उत्साह से) मित्रों, हमें इस दमन और अत्याचार को खत्म करना होगा। स्वतंत्रता ही हमारी सबसे बड़ी चाहत है। हम अपनी आवाज़ को एकजुट करके उठा सकते हैं।


रवी: मोहन, तुम सही कह रहे हो। हमें एक साथ मिलकर संघर्ष करना होगा। लेकिन, इस काम को पूरा करने के लिए हमें एक मजबूत योजना बनानी होगी।


दृश्य 2: मोहन का घर


*(सुमित्रा, मोहन की बहन, घर के काम में व्यस्त है। मोहन और रवी घर में आते हैं।)*


सुमित्रा: (मोहन को देखती है) भाई, तुम आज बहुत चिंतित लग रहे हो। क्या बात है?


मोहन: बहन, हमारे देश पर अंग्रेजों का शासन दिन-प्रतिदिन कठोर होता जा रहा है। हमें इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी। 


सुमित्रा: (चिंतित) लेकिन, तुम जानती हो कि यह एक बहुत खतरनाक काम है। क्या तुम सुरक्षित रह पाओगे?


मोहन: (दृढ़ता से) सुमित्रा, अगर हम अब नहीं लड़े, तो हमें कभी भी स्वतंत्रता नहीं मिलेगी। हम सभी को इस संघर्ष में अपनी भूमिका निभानी होगी।


दृश्य 3: गाँव का चौक


*(मोहन और रवी लोगों को जुटा रहे हैं। अंग्रेज अधिकारी मंच पर आ रहे हैं।)*


अंग्रेज अधिकारी: (घमंड से) अब भी लोग असंतुष्ट हैं। हमें इन लोगों को और सख्ती से नियंत्रित करना होगा। 


मोहन: (आवाज़ उठाते हुए) हम अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ेंगे। अंग्रेजों का शासन अब नहीं चलेगा!


गाँववाले: (उत्साहित होकर) हाँ, हमें मोहन का साथ देना चाहिए! हम स्वतंत्रता की आवाज़ को उठाएँगे!


रवी: (गाँववालों को सम्बोधित करते हुए) आज हम सब मिलकर संघर्ष करेंगे। हमारी एकता ही हमारी शक्ति है। 


दृश्य 4: स्वतंत्रता का दिन


*(सभी लोग खुशी से झूम रहे हैं। मोहन और रवी ध्वज फहरा रहे हैं।)*


मोहन: (गाँववालों से) आज हमने अपने संघर्ष की जीत हासिल की है। स्वतंत्रता की सुबह आई है, और यह हमारे लिए एक नई शुरुआत है।


सुमित्रा: (खुश होकर) भाई, तुम्हारी मेहनत और बलिदान ने हमें आज़ादी दिलाई। हम सब आज एक नए भारत की शुरुआत कर रहे हैं।


अंग्रेज अधिकारी: (वापस लौटते हुए) तुम लोग जीत गए। अब हम यहाँ से जा रहे हैं। 


गाँववाले: (उत्साह से) स्वतंत्रता के लिए जयकारा! जय हिन्द!


*(सभी लोग ध्वज के साथ खुशी मनाते हैं और नाटक समाप्त होता है।)*


समापन संवाद:


रवी: (सभी को देख कर) आज हमें समझना चाहिए कि स्वतंत्रता केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि यह हमारे लिए एक जीवन का मूल्य है। यह हमें एकजुट होकर काम करने और संघर्ष करने की प्रेरणा देती है।


मोहन: (गाँववालों को) स्वतंत्रता की सुबह आ चुकी है, लेकिन हमें इसे संजोए रखना होगा। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने देश को और भी समृद्ध और शक्तिशाली बनाएं।


सभी: (एक साथ) स्वतंत्रता के लिए जयकारा! जय हिन्द!


*(नाटक समाप्त होता है।)*

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