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भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर भाषण

 भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर भाषण


आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, सम्मानित शिक्षकगण, और मेरे प्यारे साथियों,


आज मैं आप सभी के सामने भारत के उन वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में बात करने आया हूं, जिनके बलिदान और संघर्षों के कारण हम आज एक स्वतंत्र देश में सांस ले रहे हैं। स्वतंत्रता संग्राम की यह कहानी केवल इतिहास की किताबों में बंद नहीं है, बल्कि यह हमारे दिलों में एक अमिट छाप छोड़ने वाली गाथा है।


स्वतंत्रता संग्राम के हर एक सेनानी का योगदान अमूल्य है। चाहे वह महात्मा गांधी का अहिंसा का सिद्धांत हो, या फिर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, और सुखदेव का क्रांतिकारी संघर्ष—हर एक ने अपने-अपने तरीके से इस देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।


महात्मा गांधी, जिन्हें हम 'राष्ट्रपिता' कहते हैं, ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों को इस देश से बाहर निकालने का बीड़ा उठाया। उन्होंने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया और देश को एकजुट किया।


भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों ने युवाओं में देशभक्ति की ज्वाला प्रज्वलित की। उन्होंने न केवल अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई, बल्कि अपनी जान की बाजी लगाकर देश के लिए लड़ाई लड़ी। भगत सिंह का बलिदान और उनका नारा "इंकलाब जिंदाबाद" आज भी युवाओं के दिलों में जोश भर देता है।


नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भी स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया और "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" का नारा दिया। उनका यह जोश और जज्बा देश के युवाओं को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।


सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। उन्हें 'लौह पुरुष' के नाम से जाना जाता है। उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति और नेतृत्व ने हमें एक मजबूत और संगठित भारत दिया।


रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, और नाना साहेब जैसे योद्धाओं ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ अपनी वीरता का प्रदर्शन किया। रानी लक्ष्मीबाई का साहस और बलिदान हर भारतीय महिला के लिए प्रेरणा का स्रोत है।


इसके अलावा, जवाहरलाल नेहरू, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, और बिपिन चंद्र पाल जैसे नेताओं ने भी स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तिलक का नारा "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है" ने लाखों लोगों में स्वाधीनता की भावना को जागृत किया।


इन सभी सेनानियों का संघर्ष और बलिदान हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। आज हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी कुर्बानियों को व्यर्थ न जाने दें और उनके आदर्शों पर चलकर देश की सेवा करें।


अंत में, मैं आप सभी से कहना चाहूंगा कि हमें अपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमें उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर अपने देश की सेवा करनी चाहिए और इसे एक सशक्त, समृद्ध और सम्मानित राष्ट्र बनाना चाहिए।


धन्यवाद।

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